क्या इंसान अमर हो सकता है?

 "जिस स्थान पर गति का प्रभाव नहीं होता, वहाँ किसी की आयु में वृद्धि नहीं होती"

वेद और पुराण ने हमें बताया है कि जीवन की उम्र उसकी गति प्रभावित होती है। जीवों की शारीरिक गति कम होती है तो उनकी उम्र बढ़ती है जबकि उनकी शारीरिक गति तेज होती है तो उनकी उम्र कम होती है। इसलिए जीवों की शारीरिक गति उनकी उम्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है।


लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या होगा जब एक ऐसी जगह हो जहाँ कोई गति प्रभाव नहीं होती? यानी कोई चीज नहीं चलती है और कोई भी जीवन उस जगह पर नहीं होता है। तो क्या उस जगह में कोई जीवन की उम्र बढ़ने का अनुभव करेगा?


अगर हम विज्ञान की बात करें तो एक ऐसी जगह जहाँ कोई गति प्रभाव नहीं होती, उस जगह में कोई जीवन नहीं हो सकता। यह सच है क्योंकि जीवन का अस्तित्व शारीरिक गति के आधार पर होता है।


लेकिन यदि हम इस बात को ध्यान में रखें कि जीवन की उम्र न केवल शारीरिकगति से होती है बल्कि मानसिक गति से भी होती है, तो यह संभव है कि ऐसी जगह में कुछ अलग होता।


मानसिक गति से मुर्खता और अज्ञानता दूर होती है। एक ऐसी जगह जहाँ कोई गति प्रभाव नहीं होती, सब कुछ स्थिर होता है। यहाँ पर जीवन का अस्तित्व हो सकता है। इस जगह में जीवन का अस्तित्व भले ही शारीरिक गति के आधार पर न हो, लेकिन मानसिक गति से उसकी उम्र में बदलाव नहीं होगा।

यह बात शुद्धता, समझदारी, सद्भाव, शांति और संतुलन के लिए भी लागू होती है। जब हम स्थिर होते हैं, तब हमारी सोच और काम बेहतर होते हैं। अगले स्तर पर जाने के लिए, हमें इन सभी गुणों को संतुलित रखना होगा।


इस तरह से, एक ऐसी जगह जहाँ कोई गति प्रभाव नहीं होती है, उस जगह में कोई शारीरिक गति नहीं होगी, लेकिन मानसिक गति से हम इस जगह में अपने जीवन का अस्तित्व बनाए रख सकते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि जीवन की उम्र न केवल शारीरिक गति से होती है बल्कि मानसिक गति से भी होती है। इसलिए, हमें एक स्थिर मानसिक अवस्था बनाए रखना चाहिए ताकि हमारे जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में हम सफलता प्राप्त कर सकें।


इस तरह की स्थितियों में, हम अपने आसपास के माहौल से अलग होते हुए भी अपने जीवन को सकारात्मक ढंग से जीवित रख सकते हैं। इससे हमारी शक्ति बढ़ती है, हम सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं और हमारे व्यक्तिगत विकास के लिए अधिक संभवता होती है।


इसलिए, शांति और संतुलन बनाए रखने के लिए हमें न केवल शारीरिक गति में संतुलन बनाए रखना चाहिए बल्कि मानसिक गति में भी संतुलन बनाए रखना चाहिए। इससे हम अपने जीवन को सफल बनाने के लिए सक्षम होते हैं और जीवन के साथ खुशहाल और समृद्ध रह सकते हैं।


Jay hind 

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