क्या संयुक्त राष्ट्र व्यर्थ है?

 क्या संयुक्त राष्ट्र व्यर्थ है?

संयुक्त राष्ट्र


1929 में स्थापित किया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य  दुनिया के बीच शांति स्थापित करना था। ऐसी महत्वाकांक्षा से बना था।

क्या द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसने कोई कार्रवाई की?

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापित करने में बुरी तरह विफल रहा। 

 1945 में फिर से स्थापित हुआ  सैन फ्रांसिस्को ,संयुक्त राज्य अमेरिका में । भारत तब से संयुक्त राष्ट्र का सदस्य रहा है।

उस समय, संयुक्त राष्ट्र में कुछ नए उद्देश्य जोड़े गए, जिनमें शामिल हैं, युद्ध की रोकथाम, मानव अधिकार, और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य मुद्दे आदि।


संयुक्त राष्ट्र संघ की कमियाँ इस प्रकार हैं।

जापान पर परमाणु हथियारों का प्रयोग, एकतरफा रवैया,
 पर्यावरण के मुद्दे, वह देश जहां पहली बार कोरोना वायरस सामने आया था वहां कार्रवाई की कमी लगती है, आतंकवाद की बात, जब हमलों की बात आती है तभी ईरान और लीबिया जैसे देशों पर, रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष , भारत में 9/11, आदि ।


भारत संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय का एक देश है, और 
 साथ ही दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और गणतंत्र।  जबकि भारत को कई बार UNSC की बैठकों में अस्थायी सदस्यता प्रदान की,
 सवाल स्वाभाविक रूप से उठता है कि भारत को स्थायी  सदस्य्ता क्यों नहीं दिया गया?
दुनिया का सबसे बड़ा गणराज्य होने के बावजूद भी।

संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से, केवल कुछ ही देशों के पास ही
 UNSC परिषद में स्थायी सदस्यता प्रदान की गई लेकिन मौजूदा स्थिति में सुधार की जरूरत है।  
भारत ने अक्सर संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए विभिन्न मंचों में अपनी प्रतिक्रिया दी हैं। जबकि कुछ देशों के एकाधिकार के कारण अभी भी अधूरा है।

दुनिया के कुछ देशों के पास बहुत शक्तिशाली हथियार हैं ।और उनको हथियार बढाने के लिए किशिको नही पूछना पड़ता, जबकि दुनिया के अन्य देशो को हथियार बनाने से रोका जाता हैं ।  वे लगातार सत्ता में रहना चाहते हैं।और दूसरे देशों को अपने वश में रखना चाहते है , लेकिन 21 वी सदी में यह संभव नहीं है।
 

संयुक्त राष्ट्र को मतभेदों की परवाह किए बिना निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए, इसलिए ताकि इसका संदेश दुनिया को बेहतर तरीके से पहुंचाया जा सके।  यदि कोई परिवर्तन भविष्य में नही हुवा तो 
 संयुक्त राष्ट्र  कुछ ही देशो का बनकर रह जायेगा। जिश का कोई भी  मतलब नहीं है।

21वीं सदी में दुनिया का कोई भी देश महान शक्ति नहीं बन सकता,एकमात्र महान शक्ति वह संघ है जो शांति के लिए काम करता है।जो संयुक्त राष्ट्र कर सकता है।



आभार ,    जय हिंद ।

हितेश सुवा


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